हौज़ा न्यूज एजेंसी के अनुसार , इस्लामिक क्रांति के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली खमेनेई ने,यकीनी और शक़ वाली कज़ा नमाज़ को जमाअत के साथ अदा करने के हुक्म के बारे में एक सवाल का जवाब कुछ इस प्रकार से दिया है: जो धार्मिक मामलों में रुचि रखते हैं।
हज़रत अयातुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली खमेनेई से पूछे गए प्रन्न के उत्तर इस प्रकार है:
सवाल : कभी लोग मस्जिद में अपनी कज़ा नमाज़े जमाअत के साथ अदा करते हैं और इमामें जमाअत भी कभी अपनी यकीनी कज़ा नमाज़े या कभी अपनी मशकुक और एहतियाती कज़ा नमाज़े पढ़ रहा होता हैं।
तो क्या उस सूरत में नमाज़े जमाअत के साथ कज़ा नमाज़े पढ़ना सही हैं?
उत्तर: अगर इमामें जमाअत अपनी यक़ीनी कज़ा नमाज़े पड़ रहा हैं तो उस सूरत में मामूम अपनी यकीनी या मशकुक या एहतियाती कज़ा नमाज़े पढ़ रहा हो तो उस सूरत में इसकी इक्तेदा करना सही है लेकिन अगर इमामें जमाअत अपनी मशकुक या एहतियाती कज़ा नमाज़े पढ़ रहा हो तो
मामूम सिर्फ उस सूरत में ही इक्तेदा कर सकता है, जब वह भी अपनी मशकुक या एहतियाती कज़ा नमाज़े ही पढ़ रहा हों,